आंबेडकरी आंदोलन के सरसेनानी कर्मवीर एँड. बाबू हरीदास आवळे!
(विनायकराव जामगडे )
नागपूर: ( दि. २९ जून २०२३ ) बोधिसत्व परमपूज्य डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर ने दलित,शोषित,पीडित अस्पृश्य समाज के उत्थान और विकास के लिये विषमतावादी सामाजिक धार्मिक आर्थिक व्यवस्था के खिलाफ आरंभ किये हुए मानव मुक्ती के आंदोलन मे जीन जीन महा भागो ने योगदान दिया उनमे कर्मवीर बाबूजी हरिदास आवळे का योगदान एंव भूमिका अनन्यसाधारण है.
नागपूर नजदीक के कामठी छावनी मे दिनांक 1 ज़ुलैं 1916 को बाबूजी हरिदास आवळे का जन्म हुआ. उन्होंने शालेय शिक्षा रायपूर मे तथा महाविद्यालयीन शिक्षा नागपूर मे हासिल की नागपूर विश्वविद्यालय के वे विज्ञान और कानून के स्नातक थे विद्यार्थी जीवन से ही उनका सामाजिक कार्य के प्रति झुकाव था. दुसरो के दर्द से उनका अंत कारण द्रवित हो जाता था डॉक्टर बाबासाहेब के मानव मुक्ती के आंदोलन से प्रभावित व प्रेरीत होकर सामाजिक कार्य करने लगे उन्होने आंबेडकरी विचारधारा का प्रचार और प्रसार करनेके लिये खुद को समर्पित कर दिया समता सैनिक दल के माध्यम से वे युवकों मे अनुशासन वह समाज सेवा की भावना जागृत करने लगे. उनके चारित्र और कठोर अनुशासन की वजह से वे लोकप्रिय हुए. और सक्रिय सामाजिक कार्य करते हुए समता सैनिक दल के प्रांतीक अध्यक्ष बने.
उन्होंने छत्तीसगढ़ के सतनामी समुदाय को मानव मुक्ति के अंबेडकरी विचारधारा से अवगत करा कर अंबेडकरी आंदोलन में उतारा मौजूदा विषमता वादी व्यवस्था के विरुद्ध उनको जागृत करके स्वाभिमान से जीने के लिए प्रेरित किया.
राष्ट्रभाषा हिंदी पर उनका प्रभुत्व था ,उनकी वकृत्व शैली अनुपम थी व उनका संघटन कौशल्य अप्रतिम था.
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ने शोषित पीड़ित समाज के हित के लिए तथा उनके मानवी अधिकार हासिल करने के लिए 20 जुलाई 1942 को नागपुर में शेड्यूल कास्ट फेडरेशन की स्थापना की तब बाबूजी आवळे को उनकी संगटन कुशलता ध्यान में रखते हुए सी .पी .अँड बेरार के लिए एस .सी एफ. का सेक्रेटरी नियुक्त किया गया.
1946 में नागपुर में उभरे जातीय दंगे के वक्त उन्होंने अन्य नेताओं के सहयोग से अन्याय ग्रस्त जमाव को सांत्वना देकर उनकी भरपूर मदद की उन्होंने लोभ और लालच को अपने पास भटकने नहीं दिया. तत्कालीन सी पी अँड बेरार के प्रधानमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ला के मंत्रिमंडल में शामिल करने के प्रलोभन भी उन्हे बाबासाहेब के प्रति उनकी अटुटनिष्ठा से अलग नहीं कर सका ।वैसे आज मंत्री बनने के लिए लोग क्या-क्या नहीं करते.
वे गांव खेड़े में जाकर अन्याय अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष करके अन्याय ग्रस्त पिडीत लोगो को न्याय दिलवाते रहे बिडी मजदूरों का संघटन तैयार कर उनके हक के लिए यशस्वी आंदोलन चलाते रहे सहकारी संस्थाओं का निर्माण कर उन्होंने नालंदा शिक्षण संस्था और वसतिगृह की स्थापना कर गरीब होनहार विद्यार्थियों के भविष्य की नीव डाली.
14 अक्टूबर 1956 को डॉ बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा किए गए ऐतिहासिक धर्मांतर धम्मचक्र प्रवर्तन के समय वे विशिष्ट सुरक्षा दल के प्रधान थे उन्होंने डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर से बुद्ध धम्मा दीक्षा ग्रहण की और मैं सारा भारत बुद्धमय करूंगा बाबासाहेब के इस संकल्प के अनुसार बुद्ध धर्म का प्रचार वह प्रसार के कार्यों में जुटे रहे उनका
खुद का आचरण धम्म नुसार था वे मध्य प्रदेश के छत्तीसगढ़ इलाके में सुदूर जंगलों में सतनामी लोगों में बुद्ध धम्म प्रसार करने हेतु व्यस्त रहे.
बोधिसत्व डॉ बाबासाहेब अंबेडकर के महापरिनिर्वाण के बाद उन्होंने जिस स्थान पर बाबासाहेब ने बुद्ध धम्मदीक्षा लेकर धम्म क्रांति की ठीक उसी जगह बुद्ध मूर्ति के प्रति स्थापना की वे महाराष्ट्र की विधान परिषद के सदस्य थे विधान परिषद में प्रस्ताव लाकर उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री से बोद्धो का पवित्रा दीक्षाभूमि दिलवाई। और बोधिसत्व डॉ बाबासाहेब आंबेडकर का पुतला तैयार करके स्मारक समिति को दान दिया.
बाबासाहेब के अतुलनीय नेतृत्व के पश्चात संगटन का भार वाहन करने के उद्देश्य से प्रेसीडियम गठित कर दी गई जिसके सेक्रेटरी पद का भार बाबूजी आवळे ने संभाला फिर 3 अक्टूबर 1957 को बाबासाहेब आंबेडकर ने तैयार की हुई रूपरेखा के अनुसार रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया की स्थापना की गई बाबूजी आवळे इस पक्ष के उपाध्यक्ष बनाए गए. वे ऑल इंडिया समता सैनिक दल के अध्यक्ष भी चुने गए फिर यह आश्चर्य युक्त घटना घटी एक केस के संदर्भ में नागपुर उच्च न्यायालय ने डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ने किया हुआ ऐतिहासिक धर्मांतर वह धम्मदीक्षा को अवैध घोषित किया यह बाबा साहेब के बेमिसाल कर्तृत्व पर कठोर आघात था बोद्ध जनता क्षृब्ध हुई कर्मवीर बाबूजी आवळे ने नागपुर उच्च न्यायालय के निर्णय को लेकर भारत के सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की सुप्रीम कोर्ट के आदरणीय मुख्य न्यायधीश जस्टिस .पी .बी गजेंद्र गड़कर ने डॉ बाबासाहेब आंबेडकर का धर्मांतर और उन्होंने दी हुई बोद्ध धम्म दीक्षा कानूनन वैध है ऐसा सुप्रीम निर्णय दिया।
बोधिसत्व डॉ बाबासाहेब आंबेडकर के उच्चतम जीवन पर कर्तृत्व को वैद्य सिद्ध करवाने की ऐतिहासिक भूमिका कर्मवीर बाबू जी हरिदास आवळेने अदा की इसके लिए उनको धम्मरक्षक की उपाधी से नवाजा गया हम सभी बोद्ध बांधव उनके प्रति कृतज्ञ है।
रिपब्लिकन नेतृत्व के अंतर्गत बाबासाहेब की विचारधारा का सही lnterpretation स्पष्टीकरण न करने की वजह से आर.पी .आय मे दरार पड़ी बाबा साहब की "Thoughts on linguistic states" भाषावाद प्रांत रचना की मीमांसा का अर्थ के आकलन में मतभेद और राजनीतिक हित संबंध होने के कारण रिपब्लिकन पक्ष विभाजित हुआ ।बाबूजी आवले पक्ष की एकता के लिए प्रयत्न करते रहे शीर्ष नेतागण को आगाह करते रहे अन्य नेताओं को समझाने की बाबूजी की कोशिशें उन पर असर न कर पाई बाबूजी रिपब्लिकन नेताओं को कांग्रेस के साथ यूती करने के निर्णय का पूर जोर विरोध करते रहे बाबा साहब की नीति अनुसार आचरण करने का अनुरोध करते रहे पर शीर्ष नेता खुद के हित संबंधों को त्याग न सके ।बाबा साहब की संघटना टुकड़ों में बटं गई
फिर आम आदमी को बाबा साहब के विचारों से अवगत करके उनको जागृत कर प्रबोधन करने के उद्देश्य से बाबू जी ने भीम शक्ति साप्ताहिक शुरू किया उसमें कोई राष्ट्रीय प्रश्नों के संदर्भ में बाबा साहब के विचार प्रकाशित करते रहे. अंबेडकरी संगठन का महत्व बताते रहे ।उचित दिशा दर्शन का कार्य अविरत करते रहे.
और तब एक दिन दिनांक 2-3-1971 को एक संगठित सभा को संबोधित करते वक्त एक अतुलनीय मूर्तिमंत संघर्ष अनुपम का वकृत्व शैली एक वीस्मरणीय समर्पण बोधिसत्व डॉ बाबासाहेब प्रति एक अटूट निष्ठा को पूर्ण विराम मिला.
आज बाबा साहब का नाम लेकर आम अवाम को भ्रमित करके बेमालूम तरीके से संगठन को गिरवी रखकर तथाकथित नेताओं का निजी स्वार्थ सुललित हो रहा है.
वर्तमान तिथि मे भी कर्मवीर बाबू जी हरिदास आवळे का समस्याओं का आकलन और समस्या निवारण के उनके विचार महत्वपूर्ण और प्रासंगिक महसूस होते हैं.