श्री कलगीधर सत्संग मंडल ने हर्षोल्लास के साथ मनाया श्रीराम जन्मोत्सव*
श्री कलगीधर सत्संग मंडल ने हर्षोल्लास के साथ मनाया श्रीराम जन्मोत्सव*
नागपुर: ( दि. 30 मार्च 2023 ) जरीपटका स्थित श्री कलगीधर सत्संग मंडल द्वारा श्रीराम जन्मोत्सव श्री गुरु गोबिंदसिंघ द्वारा रचित दसम ग्रंथ में से श्री राम अवतार पर प्रवचन व अन्य धार्मिक कार्यक्रमों सहित हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। अधि. माधवदास ममतानी ने प्रवचन के दौरान बताया कि आमतौर पर लोगों को तुलसीकृत व वाल्मिकी रामायण की जानकारी है परंतु श्री गुरु गोबिंदसिंघ द्वारा रचित दसम ग्रंथ में भी श्रीराम अवतार का वर्णन है, जिसकी जानकारी बहुत ही कम लोगों को है। यह दसम ग्रंथ नांदेड़ स्थित तखत श्री हजूर साहिब नांदेड़, श्री माता साहिब, श्री पटना साहिब, श्री नानकझीरा (कर्नाटक) तथा अन्य प्रमुख गुरुद्वारों में विराजमान हैं।
गुरबाणी कीर्तनकार दादा ममतानीजी ‘वकील साहिब’ ने उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं को आगे बताया कि श्री गुरु गोबिंदसिंघजी श्री दसम ग्रंथ में कहते हैं कि यदि राम अवतार की पूरी कथा कहने लगूंगा तो एक अन्य पूरा ग्रंथ भर जाएगा, इसलिए महत्वपूर्ण कथा को ही कहता हूं। गुरुजी ने दसम ग्रंथ में श्री राम कथा काव्य रुप में की है। श्री गुरु गोबिंदसिंघजी ने श्री रामजी को योगियों में परमयोगी, देवों में महादेव, राजाओं में सम्राट, संतों में परमसंत और सर्व व्याधियों का नाश करने वाले, महान रुपवान बताया है। श्री राम का चेहरा खिले गुलाब के समान है, वे पूरे संसार के सौंदर्य हैं व उनके चेहरे की सौम्यता विशिष्ट और बुद्धि चातुर्यता से पूर्ण है। वे योद्धाओं के लिए परमयोद्धा, शस्त्रधारियों के लिए महाशस्त्रधारी, मुक्तिदाता, कल्याणकारी, सिद्ध स्वरुप, बुद्धिप्रदाता और ऋधियों-सिद्धियों के भंडार हैं। जिसने श्रीराम को जिस भावना से देखा उसने उसी स्वरुप में उनके दर्शन किए।
श्री दसम ग्रंथ में गुरुजी श्रीराम की महिमा करते हुए बताते हैं कि उनकी किर्ती चारों दिशाओं में फैली हुई है, जिन्होंने दस हजार वर्षों तक राज्य किया, देश-देशांतरों के राजाओं को जीता व त्रिलोक ने उन्हें महा विजेता के रुप में जाना। रघुनंदन के नाम से जाने वाले श्रीरामजी जगतपति और मुनीगणों के वंदनीय हैं। जिन्होंने सारी धरती के लोगों को सुखी कर उनके दुख दूर किए, वे राम प्रभु हैं, अनंत हैं, अजेय हैं और अभय हैं। वे प्रकृति के स्वामी हैं, पुरुष हैं, समस्त जगत हैं, परब्रह्म हैं और त्रेता युग में पारब्रह्म परमेश्वर के सरगुण अवतार हैं।
श्रद्धेय माधवदास ममतानीजी ने आगे बताया कि श्री गुरु गोबिंदसिंघजी की यह प्रबल इच्छा है कि भक्तगण दसम ग्रंथ में वर्णित रामकथा को अवश्य सुनें व गाएं इसलिए गुरुजी ने इस रामकथा को वर दिया है कि-
*‘‘जो इह कथा सुनै अरु गावै।। दूख पाप तिह निकटि न आवे ।।*
*बिसन भगत कीए फल होई।। आधि बयाधि छवै सकै न कोई ।।’’*
अर्थात जो दसम ग्रंथ में वर्णित राम कथा को सुनेगा व गायेगा, दुख और पाप उसके निकट नहीं आयेगें व उसे किसी प्रकार की बीमारी एवं जंतर-मंतर छू नहीं सकेंगें तथा उसे वैष्णव भक्ति की प्राप्ति होगी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि *‘‘राम कथा जुग-जुग अटल, सभ कोई भाखत नेत।’’* अर्थात नित्य कही जानेवाली राम की कथा युगों-युगों तक अमर रहेगी।
कार्यक्रम के आरंभ में श्री जपुजी साहिब व श्री सुखमनी साहिब का पाठ उपस्थित हजारों की संख्या में श्रद्धालुजनों एवं विभिन्न रागियों द्वारा संयुक्त रुप में एक ही लय-सुर-ताल में प्रस्तुत किया। तत्पश्चात विभिन्न रागियों द्वारा कीर्तन प्रवचन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का समापन आरती, अनंद साहिब, ग्यारह गुरु व श्री दसम ग्रंथ में वर्णित मां भगवती की स्तुती, प्रार्थना व अरदास के साथ हुआ।
मंडल द्वारा शाम 5 बजे श्री पोद्दारेश्वर राम मंदिर के तत्वावधान में निकाली गई भव्य शोभायात्रा में स्वर्ण रथ पर ‘श्री गुरु नानकदेव के साथ श्री गुरु रामदास व श्री गुरु अरजनदेव जी’ की आकर्षक झांकी भव्य विद्युत साज-सज्जा के साथ शामिल की गई।