गाय की रक्षा व प्रतिपालना करें - अधि. ममतानी*
*‘हजारों शामिल हुए श्री गुरु अरजनदेव शहीदी दिवस में ’
नागपुर: ( दि. 23 मे 2023 ) पांचवें गुरु श्री गुरु अरजनदेवजी का 417 वां शहीदी गुरपूरब स्थानीय श्री कलगीधर सत्संग मंडल हाल में धार्मिक वातावरण में श्रद्धापूर्वक मनाया गया.
कार्यक्रम का आरंभ दोपहर 2 बजे श्री गुरु नानकदेवजी से आज्ञा लेकर पांच श्री जपुजी साहिब के पाठ के साथ हुआ जिसे हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने एक ही लय सुर ताल में संयुक्त रुप से गाया. तद्नंतर संपूर्ण विश्व में शांती व अपने परिवार में सद्भावना एवं सुख समृद्धि हेतु श्री गुरु अरजनदेव द्वारा रचित श्री सुखमनी साहिब का पाठ सामुहिक रुप से किया गया.
अधि. माधवदास ममतानी ने उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं को गुरु अरजनदेव शहीदी के बारे में बताया कि गुरूजी ने संगत की भावनाओं को आदर देते हुए अहंकारी चंदू की लड़की का रिश्ता अपने सुपुत्र श्री हरगोबिंद से नामंजूर किया. तब चंदू ने आगबबूला होकर गुरूजी को कारागृह में बंदी कर अनेक यातनाएं प्रताडनाएं दी. इतनी यातनाओं का भी असर न होने पर अंत में गुरूजी को गाय के चमड़े में लपेटने का निर्णय किया अंतर्यामी गुरूजी ने तब गोहत्या को रोकने हेतु रावी नदी जाकर अपनी आत्मिक शक्ति से शरीर का त्याग किया। आगे अपने जारी प्रवचन में अधि. ममतानी ने बताया कि सभी अवतार जैसे श्री रामचंद्रजी, श्री कृष्णजी, गुरुनानक देवजी गौहत्या के विरुद्ध थे। श्री गुरू नानक देवजी ने पूरे विश्व का जैसे चीन, पाकिस्तान, अरबदेश, श्रीलंका, बांग्लादेश, मक्का मदीना इत्यादि देशों का भ्रमण कर धर्म के सही विचारों से सभी धर्मावलंबियों को प्रभावित किया, जहां पर गुरूजी की याद में अनेक गुरूद्वारे भी हैं। विश्व भ्रमण के दौरान श्री गुरु नानक देव जी लाहौर शहर पहुंचे, वहां देखा कि गौवध हो रहा है। गुरूजी से यह सहन नहीं हुआ और उन्होने पूरे लाहौर शहर को श्राप दिया *‘‘लाहौर शहर जहर कहरू सवा पहर’’* (गुरू ग्रंथ साहिब पृष्ठ संख्या 1412) अर्थात लाहौर शहर में दिन चढ़ने से सवा पहर तक जहर के समान दुखदायी कहर रहेगा और वाकई में वहां वैसा ही हुआ। ठीक उसी प्रकार छठवें गुरू श्री गुरू हरगोबिंद साहिब ने भी गौहत्या का विरोध किया है। एक बार श्री गुरू हरगोबिंद साहिब छापिरे नामक गांव में पहुंचे तब वहां आकर एक सिक्ख ने बताया कि कुछ दुष्ट लोग गौवध कर रहे हैं। यह सुनकर गुरूजी बहुत क्रोधित हुए व उस स्थान पर पहुंचकर दुष्टों पर आक्रमण कर उनका नाश किया व गायों की रक्षा की।
अपने जारी प्रवचन में अधि. ममतानी ने बताया कि हिदू धर्म ग्रंथों के अलावा अन्य धर्म के ग्रंथों में भी गाय की रक्षा व प्रतिपालना के लिए संदेश मिलता है। गाय से मिलने वाले लाभों के बारे में पवित्र कुरान शरीफ में भी इस बात का जिक्र है बिलाश़क तुम्हारे लिये चैपायों में भी सीख है कि गाय के पेट की चीजों में से गोबर और खून के बीच में से साफ दूध मिलता है जो कि पीनेवालों के लिए स्वादवाला है। (कुरान शरीफ 16-66) शास्त्रों में गाय को पवित्र माना गया है व जो अपने थन का दूध पिलाती है वह मां होती है अतः गाय भी हमारी माता है उसका वध करना गलत एवं पाप कर्म है। जैसा कि सिख पंथ के वेद व्यास भाई गुरदास ने अपनी वार 1 पउड़ी 20 वीं में कहा है कि गौहत्या से धरती पर पाप फैलता है। *‘‘मारनि गऊ गरीब नो धरती उपरि पापु बिथारा
अधि. माधवदास ममतानी ने हजारों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं को बताया कि गाय का दूध और घी हमारी तंदुरूस्ती के लिए बहुत जरूरी है तथा गऊ मूत्र, गोबर के अनेक लाभ हैं।आयुर्वेद ग्रंथों में भी पंचगव्य का महत्व बताया है। अतः प्रत्येक गुरु सिक्ख का परम कर्तव्य है कि हमारे गुरुओं की भांती गोरक्षा का व्रत कायम रखे और गौहत्या के विरुद्ध रहे। प्रत्येक गुर सिक्ख को गौ माता की रक्षा व प्रतिपालना करना चाहिए जैसे बीमार, बिना दूध देने वाली वृद्ध गाय की सेवा, चिकित्सा, चारा वगैरह व्यक्तिगत रूप से अथवा ऐसी निष्काम संस्थाओं को जो यह कार्य करती हैं उन्हें सामग्री के रूप में या आर्थिक सहायता देकर यथोचित सहयोग करना चाहिए। यह खर्चा प्रत्येक गुरसिक्ख को अपनी दसवंत (कमाई का दसवां हिस्सा) में से करना चाहिए। अधि. ममतानी ने उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं से आव्हान किया कि गाय की रक्षा एवं प्रतिपालना से ही श्री गुरू अरजनदेवजी के गुरूपूरब पर उन्हें सही श्रद्धांजलि होगी।
प्रवचन पश्चात रागियों द्वारा गुरबाणी गायन तथा उपस्थित श्रद्धालुओं ने *‘‘धन गुरु अरजनदेव-वाहुगुरु अरजनदेव’’* के गगनभेदी जयघोष से परिसर को गंुजायमान किया। कार्यक्रम का समापन आरती, ग्यारह गुरुओं व आदि शक्ति भवानी माता की स्तुति, अरदास व प्रसाद वितरण के साथ हुआ। कार्यक्रम के आरंभ से अंत तक गुरुजी की याद में मसालेदार चना एवं मीठा जल श्रद्धालुओं को वितरित किया गया.
संयोजक अधि. माधवदास ममतानी के अनुसार शहीदी दिवस कार्यक्रम आयोजन का मंडल का 53 वां वर्ष है तथा उपरोक्त कार्यक्रम में लगभग 10000 श्रद्धालुजनों ने हिस्सा लिया.